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रूद्र दोष पूजा

काल सर्प दोष क्या है?

हिंदू ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में सभी सात ग्रह (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि) राहु और केतु के बीच होते हैं, तो उसे काल सर्प दोष कहा जाता है। इसका मतलब यह है कि व्यक्ति की कुंडली में राहु और केतु के बीच सारे ग्रह बंद होते हैं, जैसे एक सर्प की आकृति बन रही हो। इस दोष को “काल सर्प योग” भी कहा जाता है।

काल सर्प दोष के प्रभाव:

काल सर्प दोष के प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर विभिन्न प्रकार से पड़ते हैं। यह दोष मानसिक, शारीरिक, और भौतिक समस्याओं का कारण बन सकता है। इस दोष के कारण व्यक्ति को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है:

  • विवाह में विलंब: विवाह में अड़चनें आना, योग्य जीवनसाथी न मिलना।
  • आर्थिक संकट: धन की कमी, कर्ज़ में फंसना, वित्तीय समस्याएं।
  • स्वास्थ्य समस्याएं: शारीरिक बीमारियाँ, मानसिक तनाव।
  • व्यावसायिक परेशानियाँ: करियर में स्थिरता की कमी, प्रमोशन में रुकावटें।
  • कानूनी परेशानियाँ: कोर्ट केस, कानूनी दिक्कतें।
  • मनोबल में कमी: आत्मविश्वास में कमी, चिंता और तनाव का अनुभव।

काल सर्प दोष पूजा के लाभ:

काल सर्प दोष पूजा एक प्रभावी उपाय है, जो इस दोष को कम करने, नष्ट करने या इसके दुष्प्रभावों को नियंत्रित करने के लिए की जाती है। इस पूजा के लाभ निम्नलिखित हो सकते हैं:

  • समस्याओं का समाधान: जीवन की समस्याओं का समाधान हो सकता है।
  • धन की प्राप्ति: आर्थिक स्थिति में सुधार, धन का आगमन।
  • व्यक्तिगत विकास: मानसिक शांति, आत्मविश्वास में वृद्धि।
  • स्वास्थ्य में सुधार: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार।
  • परिवार में सुख-शांति: पारिवारिक जीवन में सुख और शांति बनी रहती है।
  • कैरियर में सफलता: कार्यक्षेत्र में तरक्की और सफलता मिलती है।

काल सर्प दोष पूजा कैसे की जाती है?

काल सर्प दोष पूजा बहुत ही विशेष पूजा होती है, जिसे किसी योग्य पंडित या आचार्य से करवाना चाहिए। इस पूजा में निम्नलिखित प्रमुख तत्व होते हैं:

  • पूजा का स्थान: पूजा एक शुद्ध और शांत स्थान पर करनी चाहिए।
  • पूजा सामग्री: इस पूजा के लिए विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है, जैसे – हल्दी, चंदन, दीपक, कपूर, कुबेर यंत्र, नारियल, फूल, फल आदि।
  • नाग यंत्र: काल सर्प दोष पूजा में नाग यंत्र की स्थापना की जाती है।
  • मंत्र-जाप: “ॐ श्रीं राहवे नमः” और “ॐ श्रीं केतवे नमः”।
  • नैवेद्य: विशेष अन्न का अर्पण और विसर्जन।

काल सर्प दोष पूजा कब करें?

काल सर्प दोष पूजा को खास समय में करना अधिक फलदायक माना जाता है, जैसे – नव रात्रि, राहु काल, सोमवार या शनिवार।

निष्कर्ष:

काल सर्प दोष पूजा एक महत्त्वपूर्ण उपाय है, जो जीवन में समस्याओं को कम करने और सकारात्मक बदलाव लाने में मदद करती है। विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में इसका पालन करने से जीवन में शांति, समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति हो सकती है।

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