सूर्य ग्रहण और अंगारक योग
सूर्य ग्रहण और अंगारक योग
सूर्य ग्रहण और अंगारक योग
सूर्य ग्रहण और अंगारक योग दोनों ही ज्योतिष में महत्वपूर्ण घटनाएँ मानी जाती हैं। ये घटनाएँ व्यक्ति के जीवन में विभिन्न प्रभाव डाल सकती हैं, और इन्हें समझना जरूरी है क्योंकि इनका व्यक्तिगत और सामूहिक जीवन पर असर पड़ सकता है। आइए, इन दोनों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse):
सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है, जिससे सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुँच पाता और सूर्य आंशिक या पूर्ण रूप से ढक जाता है। सूर्य ग्रहण को एक खगोलीय घटना माना जाता है, जिसका ज्योतिष में विशेष महत्व है।
सूर्य ग्रहण के प्रकार:
- पूर्ण सूर्य ग्रहण (Total Solar Eclipse):
- जब चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य को ढक लेता है, तो सूर्य पूरी तरह से अंधेरे में छिप जाता है। यह स्थिति बहुत ही दुर्लभ होती है।
- आंशिक सूर्य ग्रहण (Partial Solar Eclipse):
- इस स्थिति में चंद्रमा सूर्य के केवल कुछ हिस्से को ढकता है, और सूर्य का कुछ हिस्सा दिखता रहता है।
- हाइब्रिड सूर्य ग्रहण (Hybrid Solar Eclipse):
- यह ग्रहण एक पूर्ण और आंशिक ग्रहण का मिश्रण होता है, जिसमें कुछ जगहों पर पूर्ण सूर्य ग्रहण होता है और कुछ जगहों पर आंशिक ग्रहण होता है।
सूर्य ग्रहण का ज्योतिषीय महत्व:
- सूर्य ग्रहण को एक अशुभ घटना माना जाता है, क्योंकि यह सूर्य के शक्तिशाली प्रभाव को रोक देता है। सूर्य व्यक्ति के जीवन में आत्मविश्वास, सत्ता, प्रतिष्ठा और स्वास्थ्य का प्रतीक होता है, इसलिए ग्रहण के दौरान इन क्षेत्रों में अस्थिरता या कमी हो सकती है।
- ग्रहण के दौरान मंत्रों का जाप और धार्मिक अनुष्ठान करना शुभ माना जाता है। सूर्य ग्रहण के समय विशेष रूप से गायत्री मंत्र का जाप करना, सूर्य पूजा, और दान करने से सकारात्मक प्रभाव प्राप्त होता है।
- ग्रहण का प्रभाव 12 राशियों पर भी अलग-अलग होता है। उदाहरण के लिए, मेष, कर्क, तुला, और मकर राशियों पर सूर्य ग्रहण का अधिक प्रभाव हो सकता है, क्योंकि सूर्य इन राशियों के स्वामी ग्रह होते हैं।
सूर्य ग्रहण के दौरान क्या करना चाहिए:
- ग्रहण के दौरान न खाएं या पीएं – ज्योतिषीय दृष्टि से ग्रहण के समय खाने-पीने से शरीर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार हो सकता है।
- ग्रहण के बाद स्नान करें – ग्रहण के बाद पवित्रता बनाए रखने के लिए स्नान करना चाहिए।
- ग्रहण के दौरान धार्मिक कर्म करें – गायत्री मंत्र का जाप या सूर्य पूजा करने से सकारात्मक प्रभाव होता है।
अंगारक योग (Angarak Yog):
अंगारक योग एक विशेष प्रकार का दोष होता है जो ज्योतिष में तब बनता है जब मंगल और राहु या केतु एक ही राशि में रहते हैं। इस योग को मंगल-राहु या मंगल-केतु के योग के रूप में भी जाना जाता है। यह योग अशुभ माना जाता है क्योंकि यह व्यक्ति के जीवन में संघर्ष, कठिनाइयाँ और संकट उत्पन्न कर सकता है।
अंगारक योग का कारण:
- मंगल और राहु एक साथ किसी राशि में स्थित होते हैं, या
- मंगल और केतु एक साथ किसी राशि में होते हैं।
मंगल को उत्साह, उर्जा, और युद्ध का कारक ग्रह माना जाता है, जबकि राहु और केतु धोखा, भ्रम, और असत्य के प्रतीक होते हैं। जब ये ग्रह एक साथ होते हैं, तो यह व्यक्ति को अत्यधिक उग्रता, मानसिक तनाव और गलत निर्णय लेने की प्रवृत्ति दे सकते हैं।
अंगारक योग के प्रभाव:
- स्वास्थ्य समस्याएँ: अंगारक योग का प्रभाव व्यक्ति के स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है। रक्त, हड्डियाँ और पेट से संबंधित समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
- मानसिक तनाव: इस योग के प्रभाव से व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान हो सकता है और उसके विचार भ्रमित हो सकते हैं।
- विवाह में समस्याएँ: अंगारक योग विवाह के मामलों में विघ्न उत्पन्न कर सकता है, जिससे रिश्ते में तनाव और टकराव हो सकता है।
- कैरियर में रुकावटें: इस योग के प्रभाव से व्यक्ति को करियर में भी परेशानियाँ हो सकती हैं, जैसे कि नौकरी बदलना या कार्यस्थल पर संघर्ष।
अंगारक योग के उपाय:
- मंगल ग्रह की पूजा और मंगल मंत्र का जाप करना चाहिए।
- राहु और केतु के दोष
- दानपुण्य कर्म करना भी इस योग के प्रभाव को कम कर सकता है।
- संतुलित आहार और मानसिक शांति